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आहा रे उ दिन...आब कभते नि उन

"लाल मजेठी और जन्माष्टमी व्रत" होय महाराज ऊई नानछ्नानु दिनानों बात …

पहाड़ बेचकर मैदान में बसे हो और बात करते हो पर्यावरण और पहाड़ की

बहुत से मित्रों और स्नेहिजनों को जरूर ये बात कड़वी लगंगी पर यही सत्य हैं... मै…

याद छ महाराज "भरांण"

"भरांण" पहाड़ गाँव के पुराने मकानों की अतिआवश्यक सामाग्री ये लकड़ी के भ…

आल-चांण (हमारे पहाड़ी ढाबे वाले दुकानों की पहचान)

"चाण खै जाये म्यार होटल" आहा महाराज ये केवल आलू-चने नहीं ठहरे हाँ ये…

भांग और भेकुवा'क ल्वात (रेशे)

दगड़ियों मजबूत टिकाऊ ज्योड (लंबी रस्सियाँ), गल्यां (पालतू जानवरों को बांधने की र…

ओड़ ढुंग (पहाड़ गाँव में जमीन बँटवारे का चिह्न)

हमारे पहाड़ गाँव खासकर कुमाऊँ क्षेत्र में जब किसी भी परिवार में जमीन का बंटवारा…

खुश रहने का बहाना मिल गया ठहरा मुझे...पहाड़ गाँव से

हाँ ऐसा ही है बल एक के बाद एक दुख आते रहे इस जिंदगी में...कभी कभी तो लगा था टूट…

भीं...चाल (भूकंप/Earthquake) प्रकृति की एक करवट !

एक बार पढ़ के बताना जरूर दगड़ियों !! पहाड़ के गाँवों में आकर देखो और पुछो कि य…

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