हाँ ऐसा ही है बल एक के बाद एक दुख आते रहे इस जिंदगी में...कभी कभी तो लगा था टूट ही गया हूँ मैं, पर अच्छा हुआ कि खुश रहने का तरीका मिल गया मुझे।
अपने पहाड़ गाँव की लोक संस्कृति, परम्पराओं, जीवन शैली, खान-पान के प्रति एक तरह के गहरे लगाव से आज मुझे खुश रहने का अंदाज मिल गया है।
कई मित्र ये भी जरूर सोचते हैं कि मैं ये क्या झाड़-पात पोस्ट करता हूँ सोशल साईट्स के माध्यम से....तो मैं यही बताना चाहूँगा कि यही तो राज मिला है मुझे खुश रहने का इस वैब की दुनिया के माध्यम से।
यूं तो दिनभर में दुनिया भर से दूर रहने वाले पहाड़ी मित्रों अंजाने (ददा, भूली, दीदी, बैनीयों, कका) लोगों के फोन और संदेश आते हैं.....पर केवल एक ही फोन या संदेश भी मुझे ढेर सारी खुशी दे जाता है।
इस पोस्ट को लिखने से पहले अभी 30 मिनट पहले एक अनजाने भाई (देवेन्द्र) जी का फोन आया था California(US) से बल कह रहे थे दिल जीत लिया यार तुमने....हम पहाड़ से दूर होते हुये भी पहाड़ के पास पहुँच जाते हैं तुम्हारे पहाड़ी विडियो और पोस्टों को देखकर।
यकीन मानिये मेरा हौंसला और बड़ गया....और अपने प्रयास को खुद ही सराहने लगा और वो ही मुझे मुस्कुराहट दे गया।
ये भी कुछ जरियाहैं मेरे पहाड़ गाँव को महसूस करने के आप देख सकते हैं।
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धन्यवाद।
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story of pahad
Great job dear.. keep it up.
ReplyDeleteएक सीख तो मुझे भी आपसे मिली की घर से दूर, परेशानियों के बीच खुश केसे रहा जा सकता हैं. धन्यवाद दा.
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