दोस्तों आप में से कितनो ने गाँव में घरो के आगे या अगल बगल बने हुए ये लकड़ी के 'भरड़' यानी तख्तो के बने हुए लेंटर जैसे देखे हुए हैं ! जिनका प्रयोग अनाज सुखाने या बैठने के लिए किया जाता था और किया जाता है !
अब भी कुछ घरो में ये दिखने को मिलते है पर ज्यादा नहीं ! दोस्तो ये कुछ ऐसी चीजें हैं जो अब समाप्ती की कगार में हैं। पर हाँ यादों में जरूर बसी रहेंगे। इनका ग्रामीण लोगों से काफी गहरा रिस्ता होता है।
ये किसी न किसी रूप में गाँव के लोगों की दिनचर्या का एक हिस्सा होती हैं। ऐसी पुरानी चीजों को देख कर सच मे बहुत ही अच्छा लगता है | ये भरड़ काफी उपयोगी होते थे सर्दियों में इनमें बैठ कर धूप सेकने का आनंद लिया जाता था।
इनमें मोटे मोटे मजबूत लकड़ियों के तख्तों का प्रयोग होता था, जो लंबे समय तक टिकाऊ होता था। पहले तो गाँव में लगभग हर घर में ये देखने को मिलते थे, पर अब नहीं। अब अगर कहीं पर ये हैं भी तो केवल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में।
आप लोगों के गाँव में भी आप में से किसी को जानकारी है क्या इनके बारे में? कृपया करके अपने सुझाव और राय जरूर दें।
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