दोस्तों
हमारे पहाड़(उत्तरांचल) में एक रिवाज है ‘अँगूठा पकड़ना’। आप में से कई लोगों
ने ये रश्म जरूर देखी होगी अपने पहाड़ में किसी की शादी में। उत्तरांचल (उत्तराखंड)
के कुमाऊँ मण्डल में ये प्रथा प्रचलित है।
ब्या(शादी)के
समय अँगूठा पकड़ने का ये काम वर यानि दूल्हे द्वारा किया जाता है। वर को ब्योली यानि
दुल्हन का अँगूठा पकड़ना होता है। पता है दोस्तो जब कोई वर(दुल्हा) ब्योली(दुल्हन) का
हाथ पकड़ता है तो उसे क्या बोलना होता है। अँगूठा पकड़ के वर(दूल्हे) को ब्योली(दुल्हन)
से कहना होता है 'नहीं छोडूंगा', 'नहीं छोड़ूँगा', 'नहीं छोडूंगा'। कुछ समय के लिए वो वर ब्योली
का अँगूठा पकड़े रहता है।
जब ये
रश्म होती है उस समय वर और ब्योली आमने सामने बैठे होते हैं। बहुत सारे लोग यानि वर
पार्टी के सदस्य वर को हंसी मज़ाक में बोलते हैं, वर जी ज़ोर से पकड़ो छोडना मत।
अनोखी
परम्पराए हैं हमारे पहाड़ की सच में । आधुनिकता की इस भाग दौड़ में ये प्रथाऐ भी धूमिल
होती जा रही हैं।
वो दिन
कितने अच्छे होते थे जब टु-डे यानि दो दिन की बारात होती थी।पहले अक्सर टु-डे बारात
ही की जाती थी लेकिन अब अधिकतर वन-डे यानि एक दिन की बारात ही ज्यादा होती हैं। चाहे
वो दूर की हो या पास की।
वन-डे
बारात में बहुत कम समय में ही अर्थात शोर्ट में बारात की रश्मे हो जाती है। जबकि टु-डे
बारात में रात भर विस्तार से बारात की सभी रश्मे विस्तार पूर्वक निभाई जाती हैं।
दोस्तो
मुझे बहुत अच्छा लगता है अपने पहाड़ की इन परम्पराओ को जानने में। अक्सर जब मैं गाँव
जाता हूँ या गाँव मे होता हूं तो अपने बूढ़े-बुजुर्गों के साथ बैठ कर इन रीति रिवाजो
को जानने की कोशीश करता हूँ।
मैंने
ऊपर जो ये फोटो लगाई है इस फोटो को देखा तो मेरे मन में ये ख्याल आया कि क्यूँ न मैं
इस रिवाज के बारे में दो शब्द लिख दूँ।
पता नहीं
दोस्तो आपको मेरा ये पोस्ट कैसा लगा। मुझे आशा है कि आपको ये पसंद ही आया होगा। आप
अपने विचारो को कमेंट्स के माध्यम से मेरे साथ सेयर कर सकते हैं। ये विडियो भी जरूर देखियेगा आपको अच्छी लगेगी। यह विडियो मेरी शादी की है।
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इस पोस्ट
को पढ़ने में अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद !
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