सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गये हैं हमारे लोकपर्व ! क्यूँ ?
कल हमारे पहाड़ गाँव का लोक पर्व "फूलदेई" था, सुबह से बहुत खुश और उत्…
कल हमारे पहाड़ गाँव का लोक पर्व "फूलदेई" था, सुबह से बहुत खुश और उत्…
आज से उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा शुरू हो गई हैं, तो मन में कुछ यादें अपने दौर…
खुशनुमा बसंती मौसम'की शुरुआत हूण भैगे ! पहाड़'क डानन में प्योंली और क…
"लाल मजेठी और जन्माष्टमी व्रत" होय महाराज ऊई नानछ्नानु दिनानों बात …
बहुत से मित्रों और स्नेहिजनों को जरूर ये बात कड़वी लगंगी पर यही सत्य हैं... मै…
"भरांण" पहाड़ गाँव के पुराने मकानों की अतिआवश्यक सामाग्री ये लकड़ी के भ…
दगड़ियों मजबूत टिकाऊ ज्योड (लंबी रस्सियाँ), गल्यां (पालतू जानवरों को बांधने की र…
हमारे पहाड़ गाँव खासकर कुमाऊँ क्षेत्र में जब किसी भी परिवार में जमीन का बंटवारा…
हाँ ऐसा ही है बल एक के बाद एक दुख आते रहे इस जिंदगी में...कभी कभी तो लगा था टूट…
एक बार पढ़ के बताना जरूर दगड़ियों !! पहाड़ के गाँवों में आकर देखो और पुछो कि य…
मैं सच कहूँ तो सिर्फ द्वि रोटी खातिर अर्थात केवल दो रोटी के चक्कर में ही तो द…
प्यारे मित्रों पलायन अर्थात पहाड़ का कुष्ठरोग, आज पहाड़ के लिए नया नहीं है । …
दोस्तों आज इस मोस्ट (बांस या निगाल की बनी हुई एक प्रकार की चटाई) के बारे में क…
दोस्तों आज से लगभग 30 साल पहले [कहीं कहीं तो अभी भी] हमारे पहाड़ के गाँवों में…
आपुण पहाड़ हैं दूर रुन्ही म्यार सबै पहाड़ी भाई-बैणियो... एक बात हमेशा याद राखि…
लगभग चालीस से पचास के दशक में केदारनाथ जैंसा था आज वैसा ही हो गया ..... ! ज…
दोस्तों आप में से कितनो ने गाँव में घरो के आगे या अगल बगल बने हुए ये लकड़ी के …